सरकार की दो टूक : वापस नहीं होंगे खेती कानून, केवल संशोधन पर हो सकता है विचार
दिल्ली। पिछले करीब ढाई माह से चल रहे किसान आंदोलन का केंद्र सरकार पर कोई खास असर दिखाई नहीं दे रहा। इसी कारण सरकार ने स्पष्ट कर दिया है कि खेती कानून वापस नहीं होंगे। सरकार केवल इनमें संशोधन करने पर विचार कर सकती है। उधर, किसानों ने सरकार के जिद्दी रवैये के खिलाफ 8 दिसंबर को भारत बंद करने का ऐलान कर रखा है। मीडिया रिपोट्र्स के मुताबिक केंद्रीय कृषि राज्यमंत्री कैलाश चौधरी ने कहा कि सरकार ने जो कानून पास किए हैं वो किसानों को आजादी देते हैं। हमने हमेशा कहा है कि किसानों को यह अधिकार होना चाहिए कि वह अपनी फसल जहां चाहें बेच सकें। यहां तक स्वामीनाथन आयोग ने भी अपनी रिपोर्ट में इसकी सिफारिश की है। मैं नहीं समझता कि कानूनों को वापस लिया जाना चाहिए। यदि जरूरी हुआ तो किसानों की मांगों के मुताबिक कानून में कुछ संशोधन किए जा सकते हैं।
कृषि कानूनों के खिलाफ दिल्ली बॉर्डर पर किसानों का धरना प्रदर्शन 11 दिनों से जारी है। किसान बाहरी दिल्ली के बुराड़ी में संत निरंकारी मैदान में जमे हुए हैं। किसानों ने दिल्ली की सीमाओं को भी सील कर रखा है। नौ दिसंबर को सरकार और किसानों के बीच अगले दौर की बातचीत भी होने वाली है। सरकार ने कृषि क्षेत्र में सुधार के लिए कृषक उपज व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन और सरलीकरण) विधेयक, 2020, कृषक (सशक्तीकरण व संरक्षण) कीमत आश्वासन और कृषि सेवा पर करार विधेयक, 2020 और आवश्यक वस्तु (संशोधन) विधेयक 2020। इन कानूनों के जरिये किसानों को अपने उत्पाद को कहीं भी बेचने की आजादी दी गई है। दलहन, तिलहन, खाद्य तेल, प्याज़ और आलू को आवश्यक वस्तुओं की सूची से हटाने का प्रावधान है।