दाता बंदी छोड़ दिवस : गुरू का दामन थामकर कैद से रिहा हुए 52 हिंदू राजा
अमृतसर (सुरेंद्र कुमार)। दाता बंदी छोड़ दिवस पर श्री स्वर्ण मंदिर अमृतसर में भव्य दीपमाला की गई। छठे गुरू श्री गुरू हरगोबिंद साहिब इस दिन 52 हिंदू राजाओं के साथ मुगल राजा जहांगीर की ग्वालियर जेल से रिहा होकर बाहर आए थे। उनके आगमन की खुशी में ही पहली बार दीपमाला की गई थी।
इतिहास बताता है कि मुगलों ने जब मध्य प्रदेश के ग्वालियर किले पर कब्जा कर लिया तो इसे जेल में तब्दील कर दिया। जहां मुगल सल्तनत के लिए खतरा माने जाने वाले लोगों को कैद करके रखा जाता था। मुगल बादशाह जहांगीर ने यहां 52 हिंदू राजाओं के साथ 6वें सिख गुरु हरगोबिंद साहिब को कैद रखा था। गुरु हरगोबिंद साहिब ग्वालियर के किले में लगभग दो साल तक कैद रहे। इसकी सूचना जब एक फकीर को मिली तो उसने जहांगीर को कहा कि वह गुरु हरगोबिंद साहिब को तत्काल रिहा कर दे। गुरुजी की रिहाई का आदेश जारी हुआ तो गुरु साहिब 52 कैदी राजाओं को भी रिहा करने की मांग करने लगे। गुरु साहिब ने साफ तौर कह दिया कि वे उनके बिना वह जेल में बाहर नहीं जाएंगे। जहांगीर को उन 52 राजाओं को रिहा करना मुगल सल्तनत के लिए खतरनाक लग रहा था। उसने फकीर की सलाह पर हुकुम जारी किया कि जितने राजा गुरु हरगोबिंद साहिब का दामन थाम कर बाहर आएंगे, वे रिहा कर दिए जाएंगे।
बादशाह को लग रहा था कि 52 राजा इस तरह बाहर नहीं आ पाएंगे। कैदी राजाओं को रिहा करवाने के लिए गुरु साहिब ने 52 कलियां का अंगरखा सिलवाया। गुरु जी ने वह अंगरखा पहन लिया और हर कली के छोर को 52 राजाओं ने थाम लिया। इस तरह वे दीपावली के दिन गुरु साहिब के साथ ही किले से बाहर आ गए। जिस कारण जहांगीर को उन सभी को रिहा करना पड़ा। इसी वजह से इसे दाता बंदी छोड़ दिवस के तौर पर मनाया जाता है। उसी खुशी में पहली बार स्वर्ण मंदिर में दीपमाला की गई थी।